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भारत में नीति निर्माण एक विकेन्द्रित प्रक्रिया है जिसमे विभिन्न अभिकरण अपनी -अपनी भूमिका निभाते है ! इसमें ये अभिकरण कौन है ?

उत्तर- ये अभिकरण जिन्हें हम नीति निर्माण में सहायक संस्था भी कह सकते है वो निम्न है-

(१) संविधान- भारत में व राज्यों में नीति निर्माण की प्रथम शर्त यह है कि वह संविधान की मूल भावना के विरूद्ध ना हों।संविधान की प्रस्तावना व नीति-निर्देशक तत्त्व विभिन्न नीतियो के प्रेरणा स्त्रोत है।

(२) संसद- भारतीय संसद बजट , अनुदान पूरक मांगे , राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा, प्रश्नकाल ,नये कानूनों की स्वीकृति आदि के माध्यम से नीति -निर्माण में भागीदारी करती है। महत्वपूर्ण एवं बड़े नीतिगत फैसलों में संसद की सहमति आवश्यक हैं। भारत में वैसे तो संघात्मक शासन प्रणाली है परंतु केंद्र को अधिक अधिकार है तथा राज्यों को न्यून।

(३) मंत्रिमंडल- संसद में प्रस्तुत किये जाने वाले किसी भी सरकारी विधेयक के लिए मंत्रिमंडल की सहमति आवश्यक है।इस प्रकार मंत्रिमंडल नीति निर्माण का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। संसद द्वारा पारित अधिनियमो के अधीन उनके क्रियान्वयन सम्बन्धी सभी नीतियों मंत्रिमंडल द्वारा बनाई जाती है।

(४) राष्ट्रीय विकास परिषद- परिषद का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है तथा सभी राज्यो के मुख्यमंत्री भी सदस्य होते है। राज्यों को अपना पक्ष रखने का मौका मिलता है। पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

(५) न्यायपालिका- विभिन्न मसलो पर न्यायालय के फैसले एवम सुझाव लोकनीतियो के निर्माण में सहायक होते हैं कई विशिष्ट मामलो में संविधान के अनुच्छेद 138 तथा 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय से सलाह ली जाती है। हालांकि संविधान संशोधन को वैध या अवैध ठहराने के अंतिम अधिकार भी सर्वोच्च न्यायालय का है।

(६) राजनैतिक दल- भारत मे बहुदलीय शासन व्यवस्था है प्रत्येक राजनैतिक दल का अपना-अपना मेनिफेस्टो होता है सत्ताधारी दल अपने मैनिफेस्टो के अनुसार नीतियां तैयार करता है।

(७) परामर्शदात्री समितियां- सरकार द्वारा समय-समय पर गठित स्थायी एव अस्थायी समितियां सरकार को सुझाव एव सिफारिशें सौंपती है जिसके आधार पर उस सम्बन्ध में नीति-निर्धारण कर जन-समूह की आकांक्षाओं को पूरा करते है।

(८) दबाव समूह- सामान्य हित के आधार पर संग़ठन बना लिए जाते है। ये समूह नीतियों को अपने अनुकूल बनाने के लिए हर सम्भव कोशिश करते है एवं आंदोलन या वोट बैंक के माध्यम से, सहयोग करने या असहयोग के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाए रखते है। ट्रेड यूनियन, छात्र संघ, अल्पसंख्यक मोर्चा, महिला उत्पीड़न संघ, कर्मचारी संगठन आदि दबाव समूह के उदाहरण है।

(९) मीडिया या जन-संचार के साधन- वर्तमान में जन-संचार माध्यम जनमत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । स्वतन्त्र मीडिया सरकारी कार्यक्रमो , नीतियों एव सरकार की अच्छाई -बुराई की स्वतंत्र समीक्षा कर अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी का कार्य करता है। नीति-निर्माण में मीडिया की राय अहम है। मीडिया स्वयं एज सशक्त दबाव समूह है। यह नीतियों को प्रभावित करने में निर्णायक भूमिका निभा रहा है

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